रविवार, 26 अगस्त 2012

Bichka(scarecrow) workshop at Jangan tasveer khana lorha by rseti trainees


kaagbagoda(scarecrow)workshop by trainees of rseti


Bijukha(scarecrow) workshop by trainees of SBI RSETI Umaria at Jangan Tasveer khana lorha




एस बी आई- आर-सेटी उमरिया
बिचका के बारे में ----------------------
  1. किसी क्षेत्र  में बिचका , तो कही बिजूखा और कही इसे कागभागोडा के नाम से जाना जाता है .
  2. यह खेत में गाड़ा हुआ छोटा बांस या डंडा जिस पर काली हांड़ी टंगी होती है और जिसका मुख्य प्रयोजन पशु पक्षियो को डराकर फसल की रक्षा करना होता है
  3. यह तय है कि आदिम युग की  यह कला सम्पूर्ण दुनिया में फसलो की रक्षा के लिए उपयोगी रही है
  4. ३००० वर्ष पहले दुनिया का  पहला ' बिचका ' इजिप्त देश की नील नदी के किनारे गेंहू के खेतो में लगाया गया था
  5. ग्रामीण भारत में ' बिचका ' फसलो की रक्षा हेतु एक माध्यम है , जिसमे कृषक मनुष्य की आकृति का निर्जीव पुतला खेत में खड़ा करके घर में चैन से सोता है एवं यह                                निर्जीव ' बिचका ' अपने दायित्यो का निर्वाह करते हुए कृषक के घर में सम्पन्नता फ़ैलाने में मदद करता है
  6. एस बी आई आर - सेटी उमरिया के ट्रेनीस  के बीच ' बिचका ' के महत्व एवं बिचका के माध्यम से सामाजिक चेतना जगाने की सकारात्मक सोच पैदा हुई , एवं आर - सेटी                       के ट्रेनीस का मानना है कि निर्जीव बिचका फसलो कि रक्षा के साथ मानवीय सवेदनाओ को उत्त्प्रेरित कर सामाजिक परिवर्तन में भी अपनी भूमिका निभा सकता है
  7. आर-सेटी उमरिया का प्रयास है कि ' बिचका ' के हाँथो से सामाजिक चेतना भरे सन्देश जैसे - नशा मुक्ति , विकृत कुरीतियो से बचाव , समग्र स्वच्छता अभियान . आदि से संबधित हो सकते है .
  8. आर-सेटी उमरिया कि सोच है कि खेत में खड़ा बिचका पशु -पक्षियों के लिए डरावा हो सकता है पर समाज सेवा का सन्देश लेकर वह समाज के हर व्यक्ति का परममित्र बनकर खेत और समाज की  रखवाली कर सकता है
  9. आर-सेटी उमरिया लोककला के अनछुए  पहलू ' बिचका ' के मार्फ़त ट्रेनीस में लोककला के महत्व को उजागर कर लोककला के विविध पहलुओ के विस्तार हेतु पहल करती है

-प्रस्तुति-
जय प्रकाश पाण्डेय
निदेशक
एस बी आई आर-सेटी
उमरिया